*विश्व के अनेक देशों से आये योग जिज्ञासुओं ने योग व ध्यान की विभिन्न विधाओं को किया आत्मासात*
*योगाचार्य साध्वी आभा सरस्वती जी, योगाचार्य गंगा नन्दिनी जी, प्रारंभिक योग सत्र, योगाचार्य राजू बत्रा जी द्वारा आयंगर योग, श्री विवेक आर्य जी द्वारा श्वास विज्ञान, श्री अमित पायल जी द्वारा, रीढ़ की हड्डी की स्थिति और संरेखण, श्री चेतन महेश जी द्वारा कुंडलिनी योग, श्री विष्णु पाणिग्रही जी द्वारा मेडिटेशन योग निद्रा, श्री दीपक प्रजापति जी द्वारा साउंड हीलिंग, सचिन बड़ोनी जी, अष्टांग विन्यास योग, आचार्य विनय जी द्वारा कुंडलिनी योग, योगाचार्य गुरूमीत सिंह जी द्वारा हठ योग, स्वामी नित्यानंद जी द्वारा क्रिया योग, योगाचार्य आशीष रावत जी द्वारा विन्यास फ्लो योग, श्री संजय हाॅल, स्टीव और साने द्वारा साउंड हीलिंग, श्री दिनेश चंद्र जी द्वारा विन्यास फ्लो योग, श्री ध्रुव वशिष्ठ जी द्वारा योग दर्शन, श्री रवि बिष्ट जी द्वारा हठ योग, श्री देवेंद्र रतन जी द्वारा ज्योतिष, योगाचार्य गायत्री गुप्ता जी द्वारा योग दर्शन और वेदांत, योगाचार्य पूजा मेहता जी द्वारा मेडिटेशन और चक्र धारणा*
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन आश्रम में आयोजित तीन दिवसीय ऋषिकेश योग महोत्सव का आज समापन हुआ। परमार्थ निकेतन गंगा आरती में सभी प्रतिभागियों और योगाचार्यो ने विश्व शान्ति मंत्रों के साथ ऋषिकेश योग महोत्सव का समापन किया। ऋषिकेश योग महोत्सव में देश-विदेश से योग प्रेमी और जिज्ञासुओं ने सहभाग किया। 20 से अधिक देशों से आए लगभग 200 से अधिक योग साधकों ने योग व ध्यान की विभिन्न विधाओं को आत्मसात किया। योग साधकों ने यहां पर विभिन्न योग शैलियों, ध्यान, प्राचीन शास्त्रों के अध्ययन, गंगा जी की आरती और विशेष यज्ञ में सहभाग किया।
ऋषिकेश योग महोत्सव का आज सफलतापूर्वक समापन हुआ। इस महोत्सव का उद्देश्य योग की प्राचीन परंपराओं को पुनः जागृत करना और विभिन्न देशों से आए योग प्रेमियों को योग, ध्यान और साधना की गहरी समझ प्रदान करना था। तीन दिनों तक आयोजित इस महोत्सव में सभी ने एक नई ऊर्जा और शांति का अनुभव किया।
महोत्सव के दौरान विभिन्न योगाचार्यों और विशेषज्ञों ने योग की विविध विधाओं के बारे में जानकारी दी और साधकों को अभ्यास कराया। इन सत्रों में प्रमुख थे योगाचार्य साध्वी आभा सरस्वती जी, योगाचार्य गंगा नन्दिनी जी द्वारा प्रारंभिक योग सत्र की शुरुआत की गई, जिसमें सभी साधकों को योग के मूल सिद्धांतों और आसनों से परिचित कराया गया। योगाचार्य राजू बत्रा जी ने आयंगर योग की विधा का अभ्यास कराया, जो विशेष रूप से आसनों के सही रूप और तकनीक पर जोर देता है। श्री विवेक आर्य जी ने श्वास विज्ञान के बारे में बताया, जो श्वास नियंत्रण और प्राणायाम के माध्यम से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए महत्वपूर्ण है। श्री अमित पायल जी ने रीढ़ की हड्डी की स्थिति और संरेखण के विषय में व्याख्यान दिया, जो योगाभ्यास के दौरान शरीर की संरचना को सही बनाए रखने में मदद करता है। श्री चेतन महेश जी ने कुंडलिनी योग के बारे में जानकारी दी, जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ आध्यात्मिक उन्नति को भी बढ़ावा देता है। श्री विष्णु पाणिग्रही जी ने मेडिटेशन और योग निद्रा पर सत्र आयोजित किया, जो गहरी शांति और आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए अत्यंत लाभकारी है।
श्री दीपक प्रजापति जी ने साउंड हीलिंग के माध्यम से ऊर्जा संतुलन की प्रक्रिया को समझाया, जिसमें ध्वनि और वाइब्रेशन से शरीर और मन को शांत किया जाता है। श्री सचिन बड़ोनी जी ने अष्टांग विन्यास योग की विधा सिखाई, जो शारीरिक और मानसिक विकास के लिए एक अद्भुत योग अभ्यास है। आचार्य विनय जी ने कुंडलिनी योग की गहरी समझ प्रदान की और साधकों को इसके लाभों से अवगत कराया। योगाचार्य गुरूमीत सिंह जी ने हठ योग के विभिन्न आसनों और साधनाओं को साझा किया, जो शरीर की ताकत और मानसिक शक्ति को संतुलित करता है। स्वामी नित्यानंद जी ने क्रिया योग के माध्यम से आत्मज्ञान और शांति की प्राप्ति पर ध्यान केंद्रित किया। योगाचार्य आशीष रावत जी ने विन्यास फ्लो योग का प्रशिक्षण दिया, जो श्वास के साथ योगासन की गति को जोड़ने का अभ्यास है। श्री संजय हॉल, स्टीव, और साने ने साउंड हीलिंग के माध्यम से साधकों को आंतरिक शांति और मानसिक संतुलन प्राप्त करने के लिए प्रशिक्षण दिया। श्री दिनेश चंद्र जी और श्री ध्रुव वशिष्ठ जी ने योग दर्शन पर सत्र आयोजित किए, जिसमें वेदों और उपनिषदों के ज्ञान से योग के दार्शनिक पहलुओं को समझाया।
श्री रवि बिष्ट जी ने हठ योग पर विशेष प्रशिक्षण दिया, जो शारीरिक ताकत और लचीलापन बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। श्री देवेंद्र रतन जी ने ज्योतिष के माध्यम से साधकों को आंतरिक शांति और जीवन के उद्देश्य को समझाने का प्रयास किया। योगाचार्य गायत्री गुप्ता जी ने योग दर्शन और वेदांत पर अपने विचार साझा किए, जिससे योग के गहरे आध्यात्मिक पहलू को समझने का अवसर मिला। योगाचार्य पूजा मेहता जी ने मेडिटेशन और चक्र धारणा के माध्यम से मानसिक शांति की साधना कराई।
तीन दिनों तक चले इस महोत्सव का समापन आज परमार्थ निकेतन गंगा जी के तट पर हुआ, जहाँ सभी प्रतिभागियों और योगाचार्यों ने मिलकर गंगा आरती में सहभाग किया। इस अवसर पर विश्व शांति के मंत्रों के साथ ऋषिकेश योग महोत्सव का समापन किया गया।
परमार्थ निकेतन ने इस महोत्सव में ऋषिकेश के विभिन्न योग स्कूलों, विद्यालयों और कार्यशालाओं को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया। इन्हें ’नटराज पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। योग नगरी ऋषिकेश के समर्पित योग शिक्षकों और संस्थाओं के कार्यों की सराहना करते हुये साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि योग नगरी ऋषिकेश को योग की आध्यात्मिक नगरी बनने में सभी संस्थाओं का महत्वपूर्ण योगदान है।