देश की पत्रकारिता जगत का नक्षत्र मदन मोहन बहुगुणा

डॉ योगेश धस्माना की कलम से….
….उत्तराखंड का पत्रकार जगत भी मदन मोहन बहुगुणा के व्यक्तित्व से अंजान रहा है। पौड़ी नगर के प्रतिष्ठित वकील स्वर्गीय घनानंद बहुगुणा के बड़े पुत्र मदन मोहन का जन्म 1938 में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा पौड़ी में करने के बाद अच्छी शिक्षा के लिए वे इलाहाबाद चले गए। यहां से उन्होने अंग्रेजी साहित्य में एम.ए. किया I कुशाग्रबुद्धि और मौलिक विचारों के चलते उनकी इलाहाबाद में दूर – दूर तक ख्याति थी। संघ परिवार विशेष नानाजी देशमुख के साथ उनके गहरे संबंध थे।
एक लम्बे समय तक उनहोने लखनऊ से प्रकाशित अंग्रेजी अखबार ‘ द पायनियर ‘ में उत्तर प्रदेश के ब्यूरो प्रमुख के रूप में कार्य किया। बताया जाता है कि , अपनी तर्क शक्ति और अंग्रेजी भाषा पर बेमिशाल पकड़ होने के कारण उन्होने छात्र संग के कार्यक्रम के अवसर पर , इलाहाबाद में , इंदिरा गांधी को भी अपने ओजस्वी विचारो से इंदिरा गांधी को मौन रहने में मजबूर कर दिया था। कुछ समय तक मदन मोहन ने इलाहाबाद से अंग्रेजी साप्ताहिक पत्र ‘ क्रॉनिकल ‘ का संपादन किया और यह पत्र राजनीति में हेमवती नंदन बहुगना को उनके मुकाम तक पहुचाने में भी सफल रहा था।
1974 में जब वे ‘ प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया ‘ के उत्तर प्रदेश के सर्वोच पद पर थे , तब मद्रास में एक कार्यक्रम में भाग लेने के उपरांत रेलवे स्टेशन पर उनकी संदिग्ध परिस्थियों में मौत हो गयी। आज तक इनकी मौत की गुत्थी सुलझ नहीं सकी। उनकी मौत ने राष्ट्रीय पत्रकारिता जगत और नानाजी देशमुख को झकजोर दिया था।
उनके अन्य भाईयों में राधामोहन, धीरेंद्र मोहन और सुभाष बहुगुणा हैं। सुभाष बहुगुणा राजनीति में रहकर उनकी स्मृतियों को संजोए हुए हैं। मदन मोहन के भतीजे विकास बहुगुणा, नैनीताल उच्च न्यायालय, बार एसोसिएशन में महासचिव पद पर कार्यरत हैं।