16 सालों बाद भी ग्रामीणों को स्वीकृत सड़क के निर्माण का इंतजार

चमोली : नीति घाटी के तोलमा गांव में स्वीकृति के 16 वर्षों बाद भी ग्रामीणों को सड़क सुविधा नहीं मिल सकी है। जिससे यहां ग्रामीण आज भी अपने गंतव्य तक जाने के लिये 4 किमी की पैदल दूरी नापने को मजबूर हैं। ऐसे में द्वितीय रक्षा पंक्ति के गांवों से पलायन रोकने के प्रयासों को सरकारी मशीनरी की संवेदनशीलता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
जोशीमठ ब्लाॅक के सीमांत गांव तोलमा के 30 परिवारों को सड़क सुविधा से जोड़ने के लिये सरकार की ओर से वर्ष 2005 में सुराईथोटा-तोलमा सड़क के निर्माण का जिम्मा लोनिवि को सौंपा गया। लेकिन यहां विभाग की ओर से 3 सौ मीटर सड़क की हिल कटिंग के बाद सड़क का निर्माण कार्य रोक दिया गया। जो वर्तमान तक शुरु नहीं किया गया है। ऐसे में यहां ग्रामीण वर्तमान में भी पैदल आवाजाही को मजबूर हैं।
क्या कहते हैं ग्रामीण—
स्थानीय ग्रामीण मोहन सिंह बुटोला, उदय सिंह, कुंवर सिंह, महेंद्र सिंह, मुकेश पंवार, रूद्र सिंह बुटोला, कुताल सिंह, भरत सिंह, जय सिंह बुटोला, विशन पंवार, प्रेम बुटोला, गोविंद सिंह रावत, प्रताप सिंह राणा और मोहन सिंह राणा का कहना है कि तोलमा गांव द्वितीय रक्षा पंक्ति में है। जिससे इसका सामरिक महत्व बढ जाता है। वहीं उच्च हिमालयी क्षेत्र होने के चलते यहां भारी मात्रा में जड़ी-बूटियां मौजूद हैं। जिनके अध्ययन के लिये विभिन्न विश्व विद्यालयों के शोध छात्र यहां पहुंचते हैं। ऐसे में सड़क न होने से जहां ग्रामीणों को बीमार व बुजुर्गों को लाने ले जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं शोध छात्र और पर्यटकों को यहां आने में दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। बताया कि मामले में जिला प्रशासन से मुख्यमंत्री तक गुहार लगाने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है।
सुराईथोटा-तोलमा सड़क निर्माण कार्य वन भूमि हस्तांतरण न होने के चलते नहीं हो सका है। सड़क के लिये अवश्यक भूमि को लेकर वन भूमि हस्तांतरण का प्रस्ताव शासन स्तर पर है। जिसे लेकर शासन स्तर पर कार्रवाई गतिमान है। वन भूमि हस्तांतरण होने पर सड़क का निर्माण कार्य शुरु कर दिया जाएगा।
सुरेंद्र पटवाल, अधिशासी अभियंता, लोनिवि गोपेश्वर-चमोली।