मकर संक्रांति का पर्व जीवन में सामंजस्य और संतुलन का पर्व

*🌺मकर संक्रान्ति की शुभकामनायें*

*🌺महाकुम्भ का प्रथम अमृत स्नान*

*✨पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, पूज्य साध्वी भगवती सरस्वती जी, प्रसिद्ध कथाकार जया किशोरी जी और विश्व के अनेक देशों से महाकुम्भ में आये साधकों ने संगम में लगायी डुबकी*

*✨प्रयाग का प्रयोग, सब को जोड़ने और सब से जुड़ने का*

*💥मकर संक्रांति का पर्व जीवन में सामंजस्य और संतुलन का पर्व*

*💐महाकुम्भ, मानवता का महापर्व*

*🙏🏾स्वामी चिदानन्द सरस्वती*

ऋषिकेश। मकर संक्रांति का पर्व, वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है, महाकुम्भ 2025 के पावन अवसर पर प्रयागराज के पवित्र संगम की धरती पर पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, पूज्य साध्वी भगवती सरस्वती जी और प्रसिद्ध कथाकार जया किशोरी जी के पावन सान्निध्य में विश्व की धरती से आए सैकड़ों श्रद्धालुओं ने संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाकर धन्यता का अनुभव किया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि मकर संक्राति, जीवन में सामंजस्य और संतुलन स्थापित करने का पर्व है। मकर संक्रांति एक ऐसा पर्व है, जो हमें हमारे जीवन के उद्देश्य को समझने और उसे संतुलित तरीके से जीने का अवसर देता है। यह समय है आत्मनिरीक्षण का और भीतर और बाहरी दुनिया में एकता और शांति स्थापित करने का है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा है कि महाकुम्भ केवल एक विशाल मिलन का अवसर नहीं है, बल्कि यह एक व्यक्तिगत अनुभव है, जो हमारे हृदय और मन की शुद्धि के लिए है। जैसे हम पवित्र नदियों में स्नान कर अपने शरीर को शुद्ध करते हैं, वैसे ही हमें अपने विचारों और कर्मों को शुद्ध करना होगा।

स्वामी जी ने कहा कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य का उत्तरायण होना प्रकृति के बदलाव का प्रतीक है, जो अंधकार से प्रकाश की ओर, अज्ञानता से ज्ञान की ओर और बुराई से अच्छाई की ओर मार्गदर्शन करता है। सूर्य का उत्तरायण होना हमारे जीवन के हर पहलू में संतुलन लाने का प्रतीक है। यह समय है अपने कार्यों और विचारों में संतुलन स्थापित करने का, ताकि हम आत्मिक और सामाजिक दृष्टि से प्रगति कर सकें।

इस अवसर पर साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि कुम्भ मेला, वास्तव में एक स्वर्णिम अवसर है, जो हमें अपने भीतर की दिव्यता की पहचान कराता है और मानवता के सर्वाेत्तम मूल्य को अपनाने का संदेश देता है। यह भावनाओं और आस्थाओं का महोत्सव है। कुम्भ मेला हमें यह सिखाता है कि जीवन को जितना हम अपनी आस्था से पवित्र करेंगे, उतना ही हमारा जीवन उज्जवल और शांति से भरा होगा।

कथाकार जया किशोरी जी ने कहा कि मकर संक्रांति का पर्व न केवल प्रकृति के परिवर्तन का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे जीवन में संतुलन, शांति और प्रेम की दिशा में एक मार्गदर्शक है। जीवन में हर बदलाव के साथ, हमें अपने आप को नए तरीके से ढालने की आवश्यकता होती है। सूर्य का उत्तरायण जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मकता और ऊर्जा का संचार करता है, और यह हमें अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। मकर संक्रांति के इस पावन अवसर पर, हम सभी को अपने जीवन में सामंजस्य और संतुलन बनाए रखने का संकल्प लेना होगा ताकि हम जीवन को बेहतर बना सकें।

इस महापर्व के दौरान प्राप्त आध्यात्मिक ऊर्जा और शांति को हम अपने जीवन में कार्यान्वित करें, और इस संकल्प के साथ आगे बढ़ें कि हम सभी एक दूसरे से प्रेम और सहयोग करेंगे।

देशी-विदेशों श्रद्धालु पूज्य स्वामी जी और पूज्य साध्वी जी के पावन सान्निध्य में संगम स्नान कर आज के इस विशेष दिन पर हुये गद्गद।

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