वैदिक मंत्रोंच्चार के साथ तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिये हुए बंद

  • क्षेत्र भ्रमण कर 1 नवम्बर को शीतकालीन गद्दी स्थल पहुंचेगी भगवान तुंगनाथ की उत्सव डोली

रुद्रप्रयाग : पंच केदारों में तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ मंदिर के कपाट शनिवार को शीतकाल के लिये विधि विधान के साथ बंद कर दिये गये हैं। जिसके बाद भगवान तुंगनाथ चल विग्रह डोली रात्रि प्रवास के लिये प्रथम पडाव चोपता पहुंच गई है। देव डोली 1 नवम्बर को विभिन्न पडावों से होते हुए अपने शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ पहुंचेगी।
शनिवार को तुंगनाथ मंदिन में वैदिक मंत्रों के साथ भगवान तुंगनाथ की विशेष पूजाओं का आयेजन किया गया। इस दौरान यहां पहुंचे श्रद्धालुओं ने भगवान तुंगनाथ का जलाभिषेक कर मनौतियां मांगी। सुबह दस बजे मंदिर के कपाट बंद होने की प्रक्रियाएं शुरु हुई। इस दौरान जहां तीर्थपुरोहितों और ब्राह्मणों द्वारा वैदिक मंत्रों के साथ तुंगनाथ मंदिर में स्थित स्वयंभू लिंग को चन्दन, पुष्प, अक्षत्र, फल, भृंगराज से समाधि दी। जिसके बाद तुंगनाथ की चल विग्रह डोली ने मंदिर की परिक्रमा कर शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ के लिये प्रस्थान किया। कपाट बंद होने के अवसर पर श्रद्धालु भोले के भजनों पर मन्दिर परिसर में झूमते रहे। साथ ही स्थानीय महिलाओं ने माँगल गीतों के साथ डोली को धाम से विदा किया। जिसके बाद भक्तों ने डोली के साथ शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ के लिये प्रस्थान किया। उत्सव डोली शनिवार को रात्रि प्रवास के लिये चोपता पहुंच गई है। भगवान तुंगनाथ की डोली के चोपता पहुंचने पर स्थानीय व्यापारियों व श्रद्धालुओं ने भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली का फूल मालाओं के साथ स्वागत किया। 31 अक्तूबर को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली चोपता से प्रस्थान कर रात्रि प्रवास के लिये भनकुंड पहुंचेगी। जबकि 1 नवम्बर को भनकुण्ड से प्रस्थान कर शीतकालीन गद्दीस्थल मार्कण्डेय तीर्थ तुंगनाथ मन्दिर मक्कूमठ पहुंचेगी। जहां पर छह माह तक भगवान तुंगनाथ की पूजा अर्चना की जाएगी। इस मौके पर मठापति रामप्रसाद मैठाणी, अतुल मैठाणी, मुकेश मैठाणी, प्रकाश मैठाणी, राजकुमार नौटियाल, डोली प्रभारी प्रकाश पुरोहित, प्रबन्धक बलवीर सिंह नेगी, देवानन्द गैरोला, राकेश सेमवाल, बिक्रम रावत, धीर सिंह नेगी,पुस्कर रावत सहित विभिन्न गावों के जनप्रतिनिधि व देश-विदेश के सैकड़ों श्रद्धालुओं मौजूद थे।

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