*इम्पीरियल होटल, जनपथ, नई दिल्ली में आयोजित*
*प्रतिभागियों को भारत गौरव पुरस्कार प्रदान किये*
*परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती जी, आचार्य प्रमोद कृष्णन जी, आचार्य लोकेश मुनि जी और मुख्य इमाम जी का सान्निध्य*
*माननीय मुख्यमंत्री उत्तराखंड, श्री पुष्कर सिंह धामी जी, श्री श्रीमती निमुबेन बामभानिया जी (केंद्रीय राज्य मंत्री), माननीय सांसद और भाजपा-यूके के अध्यक्ष श्री महेन्द्र भट्ट जी, भाजपा-यूके के प्रभारी श्री दुष्यंत गौतम जी आदि विशिष्ट अतिथियों की गरिमामय उपस्थिति*
*महासचिव डॉ. संदीश यादव जी ने सभी पूज्य संतों व अतिथियों का स्वागत अभिनन्दन किया*
ऋषिकेश, नई दिल्ली, 18 दिसम्बर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी को भारत गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी को ’लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड-भारत गौरव पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
आज इम्पीरियल होटल, जनपथ, नई दिल्ली में आयोजित भारत गौरव पुरस्कार समारोह में देश-विदेश से आए प्रतिष्ठित अतिथियों और गणमान्य विभूतियों ने सहभाग किया। इस भव्य और ऐतिहासिक अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, आचार्य प्रमोद कृष्णन जी, आचार्य लोकेश मुनि जी और मुख्य इमाम जी का सान्निध्य प्राप्त हुआ। इस अवसर पर भारतीय समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाली विभूतियों को भारत गौरव पुरस्कार प्रदान किए गए।
भारत गौरव पुरस्कार समारोह के इस महत्त्वपूर्ण आयोजन में विभिन्न क्षेत्रों से चयनित सम्मानित विभूतियों को उनके असाधारण कार्यों के लिए सम्मानित किया गया, जिनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, समाज सेवा, संस्कृति, और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाली विभूतियों को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। इस समारोह का उद्देश्य उन व्यक्तियों और संगठनों को सम्मानित करना है जिन्होंने भारतीय समाज की प्रगति में अविस्मरणीय योगदान दिया है।
समारोह में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का पावन सान्निध्य व आशीर्वाद प्राप्त हुआ। स्वामी जी ने समाज में निःस्वार्थ सेवा के महत्व और समाज, प्रकृति, पर्यावरण और मानवता के प्रति अपने दायित्वों को पूरा करने हेतु प्रेरित करते हुये कहा कि यह समय भारत के गौरव को भारत की दृष्टि से देखने का है। भारत भाग्यशाली है कि उसके पास एक यशस्वी, तपस्वी प्रधानमंत्री है जिसने भारत की यात्रा को विश्व यात्रा बना दिया है। उन्होंने भारत को नारों के बल पर नहीं विचारों के बल पर आगे बढ़ाया है।
उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार इन विभूतियों की मेहनत का प्रतीक है, जो पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा भी है। जब किसी को मेडल मिलता है, तो यह एक संकेत है कि उन्होंने अपनी पूरी ऊर्जा और समय समाज के कल्याण में समर्पित किया है। पुरस्कार सम्मान का प्रतीक तो है ही साथ ही एक जिम्मेदारी भी देता है, कि कैसे समाज के रोल मॉडल बने। स्वयं श्रेष्ठ कार्य करें व समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के साथ दूसरों को भी प्रेरित करें यही है मेडल से माडल की यात्रा।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी ने कहा कि उत्तराखंड, भारत का मस्तक है। उत्तराखंड ने भारत को ऐसे अनेक सपूत दिए हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से देश का नाम रोशन किया है। उत्तराखंड के हर घर में एक सैनिक जीता है।
उत्तराखंड के सैनिकों की वीरता, समर्पण और देश के प्रति उनकी निष्ठा को सराहना करते हुये कहा कि उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जो भारतीय सेना में अपनी बड़ी संख्या और योगदान के लिए जाना जाता है। यहां के निवासी हमेशा देश की सेवा में अग्रणी रहे हैं, और यह इस राज्य की गौरवपूर्ण परंपरा भी रही है।
आचार्य प्रमोद कृष्णन जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि इस समय देश और दुनिया में जो भी उथल-पुथल हो रही है, वह हमें मानसिक और आंतरिक शांति की आवश्यकता को समझने का अवसर देती है। हमें अपने जीवन के उद्देश्यों को स्पष्ट करना होगा, ताकि हम दुनिया में बदलाव ला सकें।
आचार्य लोकेश मुनि जी ने समाज के प्रत्येक वर्ग को सम्बोधित करते हुये कहा कि समाज सेवा के कार्यों में सक्रिय रूप से शामिल हों और जीवन को एक उद्देश्य के साथ जीने का प्रयास करें।
श्रीमती निमुबेन बामभानिया जी (केंद्रीय राज्य मंत्री) ने महिलाओं और बच्चों के कल्याण के लिए किए गए प्रयासों पर बल दिया और कहा कि समाज के प्रत्येक वर्ग की उन्नति के लिए यह आवश्यक है कि हम उन्हें समान अवसर प्रदान करें।
कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ. संदीश यादव जी, महासचिव ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और समारोह का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि यह समारोह उन सभी व्यक्तियों को सम्मानित करने का एक मंच है, जिन्होंने अपने कार्यों से समाज में स्थायी परिवर्तन किया है। डॉ. यादव ने समारोह में उपस्थित सभी पूज्य संतों और अतिथियों का आभार व्यक्त किया और कहा कि उनके मार्गदर्शन से यह आयोजन संभव हो सका है।
समारोह के अंत में भारत गौरव पुरस्कार वितरित किए गए। यह पुरस्कार उन व्यक्तियों और संगठनों को दिए गए जिन्होंने भारतीय समाज के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
समारोह का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। स्वामी जी ने सभी विशिष्ट अतिथियों को रूद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट किया।