उत्तराखंड देवली, राजकीय विद्यालय के विद्यार्थियों और अध्यापकों ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कर लिया आशीर्वाद

 

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने विश्व मृदा दिवस के पूर्व संध्या पर मृदा की महŸाा, उपयोगिता और उसके संरक्षण के महत्व को उजागर करते हुये कहा कि मृदा का स्वास्थ्य हमारे जीवन, स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए अनिवार्य है। मृदा स्वस्थ तो जीवन स्वस्थ व सुरक्षित। हमारी समृद्धि और स्वास्थ्य, मृदा की गुणवत्ता पर निर्भर करती है।
उत्तराखंड देवली, राजकीय विद्यालय के विद्यार्थियों और अध्यापकों को संदेश देते हुये स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हो रही हिंसा और अत्याचार के शमन के लिए सभी को एकजुट होकर शांति और सहिष्णुता के लिए प्रयास करना होगा। हमारी एकता और सहिष्णुता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है, हम तभी तक सुरक्षित जब तक हम एक है और सनातन संस्कृति से जुडे हैं।

स्वामी जी ने कहा कि हिंसा और अत्याचार किसी भी समाज के लिए घातक हैं इसलिये हमें मिलकर इनका विरोध करना होगा तथा हिंसा के खिलाफ एकजुट होना होगा क्योंकि हमारी एकता और सहिष्णुता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। हमें अपने विचारों और कार्यों में शांति और सहिष्णुता को अपनाना होगा और हम सभी को मिलकर एक ऐसा समाज बनाना होगा जहां हर व्यक्ति सुरक्षित और सम्मानित महसूस कर सके।

स्वामी जी ने विश्व मृदा दिवस की पूर्व संध्या पर कहा कि मृदा हमारी धरती की आत्मा है। यह न केवल हमारी फसलों और खाद्य उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे जीवन और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भी जरूरी है। जब मृदा स्वस्थ होगी तो, तो हमारी फसलें भी स्वस्थ होगी, जिससे हमारा पोषण और स्वास्थ्य बेहतर होता है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि मृदा को प्रदूषण मुक्त और स्वस्थ बनाये रखने के लिए हमें अपने जीवन में कुछ छोटे-छोटे बदलाव करने होंगे, विशेष रूप से हमें जैविक खेती को अपनाना होगा, रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर जैविक उर्वरकों का उपयोग करना होगा क्योंकि जैविक उर्वरक मृदा में जीवाणुओं की गतिविधि को बढ़ावा देते हैं, जो मृदा को प्रदूषित नहीं करते और उसकी गुणवत्ता को बनाए रखते हैं।

स्वामी जी ने विद्यार्थियों को पौधा रोपण के लिये प्रेरित करते हुये कहा कि अधिक से अधिक पौधारोपण करें क्योंकि यह मृदा के क्षरण को रोकने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं। वृक्षों की जड़ें मृदा को बांधकर रखती हैं और मृदा के पोषण को बनाए रखती हैं। मृदा की उर्वरता बनाए रखने के लिए जल संरक्षण के उपाय अपनाने होंगे क्योंकि जल संरक्षण से मृदा में नमी बनी रहती है और पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक तत्वों की पूर्ति होती है। ह्यूमस मृदा की संरचना को सुधारता है और उसकी पानी धारण क्षमता को बढ़ाता है। यह पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की उपलब्धता को भी बढ़ाता है।

पहाड़ोें को प्रदूषण से बचाना है तो जैविक खेती को अपनाना होगा। यह न केवल मृदा की गुणवत्ता को बनाए रखती है, बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। स्वामी जी ने विद्यार्थियों को मृदा और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के लिए जागरूक होने का संदेश देते हुये कहा कि दैनिक जीवन में ऐसे उत्पादों का उपयोग करे जो मृदा के लिए हानिकारक न हों। मृदा के संरक्षण के लिए हमें सामूहिक प्रयास करने होंगे क्योंकि मृदा की सुरक्षा हमारे समाज की सुरक्षा है। सभी को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी आने वाली पीढ़ियाँ भी स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण में जीवन व्यतीत कर सकें। स्वामी जी ने विद्यार्थियों और उनके अध्यापकों को पर्यावरण संरक्षण का संकल्प कराया तथा उनके विद्यालय परिसर में रोपित करने हेतु रूद्राक्ष का पौधा उन्हें आशीर्वाद स्वरूप दिया। सभी ने वाटर ब्लेसिंग सेरेमनी कर जल संरक्षण का संकल्प किया।

zerogroundnews

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!