गोपेश्वरः चार धाम यात्रा को लेकर सीमित संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने से लगी रोक हटने के बाद बुधवार को बड़ी संख्या में पित्रविसर्जन के मौके पर बदरीनाथ धाम स्थित ब्रहम कपाल में हिन्दू मतावलंबी पित्र तर्पण के लिये धाम में पहुंचे। जिसके चलते धाम सहित ब्रहम कपाल तीर्थ में लम्बे समय के बाद चहल-पहल देखने को मिल रही है। स्कंद पुराणा के अनुसार ब्रहमकपाल में पिंडदान गया में किये पिंडदान से आठ गुना फलदायी बताया गया है। कोरोना संक्रमण के चलते दो वर्ष से यहां पिंडदान को लेकर श्रद्धालु नहीं पहुंच पा रहे थे। लेकिन मंगलवार को उच्च न्यायालय की ओर चार धाम यात्रा में सीमित संख्या में श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति पर लगी रोक हटने के बाद यहां चहल-पहल बढ गई है।
ब्रहमकपाल में भगवान शिव ब्रहम हत्या के पाप से हुए मुक्त
पौराणिक हिन्दू मान्यता के अनुसार सृष्टि की उत्पति के समय जब ब्रह्मा मां सरस्वती के रुप पर मोहित हो गए तो भोलेनाथ ने गुस्से में आकर ब्रह्मा के पांच सिरों में से एक को त्रिशूल के वार से काट दिया। तब सिर त्रिशूल पर ही चिपक गया। ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए जब भोलेनाथ पृथ्वी लोक के भ्रमण पर गए तो बदरीनाथ से करीब पांच सौ मीटर की दूरी पर त्रिशूल से ब्रह्मा का सिर जमीन पर गिर गया। तभी से यह स्थान ब्रह्म कपाल के रुप में प्रसिद्ध हुआ। शिवजी भी इसी स्थान पर ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त हुए थे। गोत्र हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए स्वर्ग की ओर जा रहे पांडवों ने भी इसी स्थान पर अपने पितरों को तर्पण दिया था। जिसके चलते पितृ पक्ष में यहां पिंडदान और तर्पण देने का विशेष महत्व है।
कहाँ है ब्रहम कपाल तीर्थ—
पित्र तर्पण के लिये स्कंदपुराण के अनुसार गया से आठ गुना अधिक लाभ देने वाला ब्रहम कपाल देश के चार धामों से एक मोक्ष धाम बदरीनाथ में स्थित है। यह स्थान बदरीनाथ मंदिर के बांई ओर अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। यहां यात्राकाल के दौरान देश और विदेश के लाखों हिन्दु मतावलम्बी पित्र मोक्ष के लिये पिंडदान करने पहुंचते हैं। वहीं पित्र पक्ष में यहां पिंडदान का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है।कैसे पहुंचे ब्रहमकपाल—-
बदरीनाथ धाम पहुंचने के लिये ऋषिकेश से 295 किमी की दूरी सड़क मार्ग से पार कर बदरीनाथ धाम पहुंचा जाता है। जहां ब्रहमकपाल तीर्थ स्थित है। साथ ही बदरीनाथ धाम पहुंचने के लिये देहरादून के सहस्रधारा हैलीपैट से निजी कंपनियों की हैली सेवा का भी संचालन किया जाता है। तो श्रद्धालु हैलीकाप्टर सेवा से भी बदरीनाथ धाम पहुंच सकते हैं।