मत्स्य पालन से स्वरोजगार कर पलायन रोकने का प्रभावी मॉडल पेश कर रहे पान सिंह

चमोली : रोजगार के लिये उत्तराखण्ड के गांवों से युवाओं का पलायन जँहा आम सी बात हो गयी है। ऐसे वक्त में जिले के वांण के 50 वर्षीय पान सिंह मत्स्य पालन से स्वरोजगार की राह दिखा पलायन पर प्रभावी रोक का मॉडल तैयार कर चुके हैं। पान सिंह मत्स्य पालन से प्रतिवर्ष करीब 5 लाख की आय अर्जित कर रहे हैं। ऐसे में अब उन्हें देख अन्य काश्तकार भी मत्स्य पालन करने का मन बना रहे हैं।

वर्ष 2017-18 में पान सिंह ने 9 लोगों के साथ मिलकर देवभूमि मत्स्य जीवी सहकारी समिति बनाकर मत्स्य पालन का कार्य शुरु किया। जिससे पान सिंह की ओर गठित समिति उत्तरा फेस और अन्य माध्यमों से 600 रुपये प्रति किग्रा के हिसाब से मछलियों का विपणन कर प्रतिवर्ष 5 लाख तक की आय अर्जित कर रहे हैं।

पान सिंह का कहना है कि मध्य हिमालय में पाई जाने वाली रैनबो ट्राउड की राज्य के बाहरी बाजारों में भी अच्छी मांग है। लेकिन बाहरी बाजारों की मांग के अनुरुप उत्पादन न होने से विपणन की चैन तैयार नहीं हो पा रही है। यदि अन्य काश्तकार भी मत्स्य पालन करते हैं तो विपणन की सुचारु व्यवस्था बन सकती है। पान सिंह मत्स्य पालन के साथ ही जड़ी बूटी कृषिकरण व सब्जी उत्पादन का कार्य भी करते हैं। उनका कहना है कि जड़ी-बूटी और सब्जी के विपणन से भी वे प्रतिवर्ष ढाई लाख से अधिक की आय अर्जित कर रहे हैं।


चमोली में काश्तकारों में मत्स्य पालन का रुझान बढा है, वांण के साथ ही ल्वांणी, चलियापाणी, गैरसैंण व उर्गम क्षेत्र के काश्तकार मत्स्य पालन से आय अर्जित कर रहे हैं। विभाग काश्तकारों को मत्स्य पालन की योजना का लाभ देने के साथ ही तकनीकी जानकारी भी दे रहा है। 
जगदम्बा कुमार, प्रभारी सहाक निदेशक, मत्स्य विभाग, चमोली


 

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