प्रधानाध्यापक की मेहनत से बदलने लगी प्राथमिक विद्यालय बंगाली की सूरत

चमोली : सरकारी प्राथमिक विद्यालयों को लेकर आमतौर पर लोगों की धारणा अस्त व्यस्त कक्षा कक्ष और अव्यवस्थित दीवरों की बनी है। ऐसे में चमोली के दूरस्थ गांव बंगाली का प्राथमिक विद्यालय सरकारी स्कूलों की इस छवि को तोड़ रहा है। यहां तैनात प्रधानाचार्य की सात वर्षों की मेहतन के चलते इन दिनों स्कूल जिलेभर में चर्चा का विषय बना हुआ है।

बता दें कि बंगाली गांव चमोली जिले के घाट ब्लॉक का दूरस्थ गांव है। यहां वर्ष 2014 में राकेश सती की प्रधानाध्यापक के रुप में तैनाती हुई। इस दौरान प्राथमिक विद्यालय बंगाली में भी अन्य सरकारी विद्यालयों की भांति छात्र संख्या में आ रही गिरावट के चलते छात्र संख्या 26 रह गई थी। जिसके राकेश सती ने ग्रामीणों के सहयोग से विद्यालय को संवारे का कार्य किया और सात वर्ष में उन्होंने विद्यालय के भवन से लेकर छात्रों के पहनावे और पठन -पाठन तक को नया स्वरुप दे दिया है। इन दिनों विद्यालयों में राकेश की ओर कराये गये रंग-रोगन के बाद दूरस्थ गांव के इस विद्यालय के समीप से गुजरने वाला हर व्यक्ति शिक्षक की लगन का मुरीद हो रहा है। प्रधानाध्यापक की मेहनत के चलते वर्तमान समय में विद्यालय की छात्र संख्या 62 हो गई है। वहीं अन्य ग्रामीण भी विद्यालय के पठन-पाठन और व्यवस्थाओं से प्रभावित हैं। प्रधानाध्यापक राकेश सती का कहना है कि विद्यालय सरस्वती का मंदिर है। सभी को इसे मंदिर की भांती रखना चाहिए, क्योंकि इस मंदिर से ही कल के भारत का निर्माण होना है। माता-पिता और परिवार से मिले संस्कार और रोजगार के रुप में मिली जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहा हूँ।

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