मानवतावादी चिंतक पूज्य स्वामी विवेकानन्द जी की जयंती पर कोटि-कोटि नमन

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज मानवतावादी चिंतक स्वामी विवेकानन्द जी की जयंती पर उन्हें भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये कहा कि स्वामी विवेकानन्द जी उत्थान और निर्माण के सूत्रधार है। युवा अपने मूल, मूल्य और संस्कृति से जुडकर ही अपनी भारतीय संस्कृति के पुनर्निर्माण और उत्थान के सहभागी हो सकते हैं।

आज स्वामी विवेकानन्द जी की जयंती और राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर अरैल घाट में राष्ट्रीय स्वयं संघ, शाखा संगम, प्रयाग नैनी और विभिन्न शाखाओं के शाखा प्रमुखों एवं स्वयं सेवक बंधुओं को सम्बोधित करते हुये स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सोच को बढ़ाने का संदेश देते हुये कहा कि सोच को बदलेंगे और सब को बदलेंगे। न कटेंगे न काटेंगे, बटेंगे न बाटेंगे, न लड़ेंगे न लडायेंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्र नहीं तो हमारा अस्तित्व नहीं। अब समय आ गया कि हम भारत को भारत के चश्में से देखें, भारत को ऐनक से देखें, और भारत को भारत के एंगल से देंखे अर्थात हमें अपने देश के बारे में बाहरी दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि भारतीय दृष्टिकोण से सोचना और देखना होगा।

  • राष्ट्रीय युवा दिवस पर सभी को हार्दिक शुभकामनायें

  • परमार्थ निकेतन शिविर से महाकुम्भ अरैल, क्षेत्र में निकाली युवा रैली

  • अपनी विरासत पर गर्व करें तथा अपने मूल, मूल्यों और संस्कृति से जुड़ें

  • अध्यात्मवादी और वैज्ञानिक सोच के पुरोधा स्वामी विवेकानन्द जी

  • उत्थान और निर्माण के सूत्रधार

  • युवाओं की जवानी को दिशा प्रदान करने का उत्कृष्ट अवसर

  • सोच को बदलेंगे और सब को बदलेंगे

  • न कटेंगे न काटेंगे, बटेंगे न बाटेंगे, न लड़ेंगे न लडायेंगे : स्वामी चिदानन्द सरस्वती

19 वीं सदी में आज के ही दिन अध्यात्म जगत के शिरोमणि का भारत में उदय हुआ था। वे एक ऐसे चिंतक थे जिन्होंने भारत के गौरव, भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक चिंतन को सात समन्दर पार तक पहुंचाया। शिकागो में आयोजित ‘विश्व धर्म महासभा’ में स्वामी विवेकानन्द जी ने हिंदू धर्म की सहिष्णुता तथा सार्वभौमिकता और वसुधैव कुटुम्बकम् के स्वरूप को व्यक्त कर पूरे विश्व को दिखा दिया कि केसरी रंग केवल दिखता ही केसरी नहीं है बल्कि इसमंे हमारे देश की गरिमा, त्याग और हमारा साहस भी समाहित है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर युवाओं का आह्वान करते हुये कहा कि समस्याओं और चुनौतियों से ’भागो नहीं बल्कि जागो’, उनका सामना करो और आगे बढ़ो। युवा अपने कार्यो के प्रति लगनशील, निष्ठावान, कर्तव्यनिष्ठ और ऊर्जावान बनें, समय का उपयोग करें, अवसरांें को पहचाने, एजूकेटेड, अपडेटेड और अपलिफ्टेड भी बनंे तथा अपना आध्यात्मिक और सांस्कृतिक (स्पिरिचुअल व कल्चर) पक्ष मजबूत रखें।

स्वामी विवेकानन्द जी ने जीवन के बड़े ही सरल और सहज सूत्र दिये। इन सूत्रों पर अमल कर व्यावहारिक और आध्यात्मिक जीवन में उन्नति के उच्च सोपानों तक पहुंचा जा सकता है। उनके द्वारा दिया गया यह सूत्र कि ‘प्रत्येक कार्य में अपनी समस्त शक्ति का प्रयोग करो’ आज भी उतना ही प्रासंगिक है। इस सिद्धान्त पर अमल कर युवा सफलता के आसमान को छू सकते हैं। ’’उठो, जागो और तब तक रूको नहीं जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाए’।’’ कितना अद्भुत दर्शन और चिंतन छुपा है इसमें, ये चितंन जोश, ऊर्जा, एक नया उत्साह और नई उमंग नौजवानों में पैदा कर सकता है और वास्तव में आज भारत को ऐसे ही साहसी और फोकसड्, एकाग्रता से पूर्ण नौजवानों की जरूरत है। जो चट्टानों से टकराये उसे तूफान कहते हैं और जो तूफानों से टकराये उसे नौजवान करते हैं, ये तभी सम्भव है जब हमारा ध्यान केन्द्रित हों, भीतर से मजबूत हों और एकाग्रचित हों।

स्वामी जी ने युवाओं का आह्वान करते हुये कहा कि युवा एक्टिव व इफेक्टिव बनें, एजूकेटेड एवं कल्चर्ड बनें और एक स्वर्णिम भविष्य का निर्माण करें। आईये राष्ट्रीय युवा दिवस पर ’’अहम और वहम से वयं की ओर, आई (मैं) से व्ही (हम) की ओर तथा मेरे लिये क्या नहीं बल्कि मेरे थू्र क्या इस दिशा की ओर बढने का संकल्प लें, यही आपके लिये भी और देश के लिये भी आत्मनिर्भर बनाने की दिशा मंे एक महत्वपूर्ण कदम होगा, ’’इदं राष्ट्राय स्वाहः इदं न मम।’’

नेशनल यूथ डे के अवसर पर स्वामी जी ने कहा कि आज का यूथ ब्रांड की ओर आकर्षित है। हमारा युवा कपड़ों का ब्रांड, जूतों का ब्रांड देखता है परन्तु अब हमें ग्रीन ब्रांड और ग्रीन कल्चर को विकसित करना होगा कि किस ब्रांड का कार्बन के उत्सर्जन में कितना योगदान है उसी के आधार पर डी कार्बोनाइज ब्रांड ही अपना ब्रांड बनाना होगा।

इस अवसर पर सह विभाग प्रचारक, प्रयाग विभाग श्री शिवबंधु जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ व्यक्ति, समाज और राष्ट्र को मजबूत करने की उत्कृष्ट शाखा है। हम सभी को मिलकर गुरू जी से लेकर आज तक की जो भी परम्परा है उसे मजबूत करने के लिये मिलकर कार्य करना होगा। परमार्थ निकेतन शिविर से अरैल घाट तक सनातन के नाद, शंख ध्वनि और जय घोष के साथ रैली निकाली। रैली के पश्चात परमार्थ निकेतन शिविर में विशाल भंडारा का आयोजन किया गया।

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