भू कानून के लिए भूमि बंदोबस्त जरूरी

 

डॉ योगेश धस्मान

एक ऐसे समय में जब उत्तराखंड में अधिकांश खेती की जमीन बिल्डर और पूंजीपति निकल चुके हैं , उस वक्त गोपेश्वर नगर में बुद्धिजीवियों ने एक बैठक आयोजित कर नए भूमि बंदोबस्त किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया है।

नंदा देवी महिला लोक विकास समिति की पहल पर गोपेश्वर में आयोजित इस बैठक में पूर्व दर्जा धारी मंत्री और बद्री – केदार के पूर्व विधायक कुंवर सिंह नेगी की अध्यक्षता में , साथ में बार काउंसिल गोपेश्वर के अध्यक्ष भरत रावत के सानिध्य में एक विशेष बैठक का आयोजन कर मांग की गई ,  कि 1956 के बंदोबस्त के बाद किसी भी सरकार द्वारा भूमि का बंदोबस्त न किए जाने से वर्तमान समय में भूमि और उसकी उपयोगिता पर सवाल उठ गए हैं I  लगभग 65 वर्षों से अब तक भू उपयोग में भी व्यापक परिवर्तन आ चुके हैं ऐसी स्थिति में नवीन भू बंदोबस्त कर एक नया मार्ग प्रशस्त होगा।

बैठक में बार संघ चमोली के अध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता भरत सिंह रावत, मोहन पंत सहीत भूमि कानून के बारे में जानकारी रखने वालों ने 1950 के पंडित गोविंद बल्लभ पंत ,  सरकार के बंदोबस्त को नजीर मानकर उसके अनुसार कार्यवाही की जाने की आवश्यकता पर बल दिया गया। साथ ही काश्तकारों जिनके पास अपनी जमीन  नहीं है ,  और वह खेतिहर मजदूर बनकर काम कर रहे हैं  , उन्हें बंजर भूमि दिए जाने की आवश्यकता पर भी विचार किया गया। ऐसा करके हम बड़ी सीमा तक पलायन को भी रोक सकते हैं। बैठक में इस बात की भी चर्चा हुई कि जब तक नया बंदोबस्त नहीं हो जाता , तब तक मूल निवास  प्रमाण पत्र को  को आधार मानकर भूमि क्रय विक्रय करने का अधिकार दिया जाना चाहिए।

बैठक में इस बात पर भी सहमति व्यक्त की गई कि , मूल निवास और स्थाई निवास के विषय में सरकार स्पष्ट रूप से व्याख्या करें मूल निवास को आधार मानने से एक बात तो स्पष्ट हो जाएगी कि हम अपनी काश्तकारों की बची हुई शेष जमीन को पूजी पतियों के हाथों –  हाथों में जाने से बचा सकेंगे।

 

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