इंटरनेशनल यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज डे 2024

*💥विश्व के अनेक देशों से आये योग जिज्ञासुओं को योग, ध्यान, प्राणायाम और पर्याप्त नींद के माध्यम से समग्र स्वास्थ्य का दिया संदेेश*

*✨योग, आहार, और संतुलित जीवनशैली में समाहित है सार्वभौमिक स्वास्थ्य*

*🌸स्वस्थ जनसंख्या एक समृद्ध अर्थव्यवस्था*

*🌺स्वास्थ्य ही धन है*

*🙏🏾स्वामी चिदानन्द सरस्वती*

*🩺परमार्थ निकेतन में 21 व 22 दिसम्बर, 2024 निःशुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन*

 

*🏥मेदान्ता, गुडगांव के विख्यात चिकित्सकों द्वारा हृदय रोग, छाती रोग एवं सामान्य रोगों का उपचार*

*💊💉ईसीजी, बीएमडी, पीएफटी, बीपी, ब्लड शुगर की निःशुल्क जांच व दवाई*

 

ऋषिकेश, 12 दिसम्बर। इंटरनेशनल यूनिवर्सल हेल्थ कवरिज डे के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि आज के दिन सभी स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का संकल्प लें। योग, ध्यान, प्राणायाम, उचित नींद, आहार और व्यवहार को अपनी दैनिक जीवनशैली में शामिल कर हम समग्र स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते हैं। हम अपने-अपने स्तर पर सभी के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच सुनिश्चित करें और एक ऐसे विश्व की ओर बढ़ें जहाँ किसी को भी अपनी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आर्थिक संकट का सामना न करना पड़े।

सत्वा के प्रमुख, योगाचार्य श्री आनंद मेहरोत्रा जी और विश्व के अनेक देशों से आये योग जिज्ञासुओं को स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने योग, ध्यान, प्राणायाम और पर्याप्त नींद के माध्यम से समग्र स्वास्थ्य को आत्मसात करने का संदेश दिया।

ज्ञात हो कि परमार्थ निकेतन अपने राज्य उत्तराखंड व आसपास के क्षेत्रों को निःशुल्क उत्तम स्वास्थ्य सुविधायें प्रदान करने के लिये समर्पित है। यहां से वैश्विक स्तर के विशेषज्ञों द्वारा उत्तम स्वास्थ्य सुविधायें प्रदान की जाती है। परमार्थ निकेतन द्वारा पहाड़ों पर भी विशेष चिकित्सा शिविर आयोजित किये जाते हैं ताकि प्रत्येक व्यक्ति तक चिकित्सा सुविधायें पहुंचायी जा सके।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि सभी को स्वस्थ जीवन जीने का अधिकार है। “स्वास्थ्य ही धन है” और एक स्वस्थ जनसंख्या एक समृद्ध अर्थव्यवस्था की नींव है, इसलिये हर किसी को एक स्वस्थ जीवन जीने का अवसर प्राप्त हो।

स्वामी जी ने कहा कि हमें एक समग्र जीवनशैली को बढ़ावा देना होगा, जिसमें मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य कल्याण शामिल हो। योग, ध्यान, प्राणायाम, उचित आहार, पर्याप्त नींद और पारंपरिक चिकित्सा पद्धति जैसे आयुर्वेद समग्र स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं। इस तरह के समग्र स्वास्थ्य मॉडल न केवल चिकित्सा प्रणालियों पर दबाव कम करते हैं, बल्कि व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य की जिम्मेदारी लेने के लिए भी सशक्त बनाते हैं।

स्वामी जी ने कहा कि हमारे ऋषियों ने योग व आयुर्वेद के रूप में एक मूल्यवान मॉडल प्रस्तुत किया है। जो आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक कल्याण के लिये उपयुक्त है। नियमित योगाभ्यास से तनाव कम होता है, इम्यूनिटी मजबूत होती है, और मानसिक स्पष्टता में वृद्धि होती है। योग के माध्यम से हम शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति को संतुलित कर सकते हैं। आजकल मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं बढ़ रही है। योग व ध्यान चिंता, अवसाद और तनाव को कम करने में मदद करता है, जिसका सीधा प्रभाव शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। प्राणायाम, हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ता है, जिससे ऊर्जा स्तर बनाए रखने में मदद मिलती है यह समग्र स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।

इस अवसर पर स्वामी जी ने कहा कि आहार व पोषण भी स्वस्थ रहने हेतु महत्वपूर्ण स्तंभों में से है। संतुलित आहार शरीर को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। स्वास्थ्यवर्धक आहार भारत की परम्परा है। हमारे शास्त्रों में ंतो कब सोना व कब उठना इसका भी स्पष्ट उल्लेख किया गया है क्योंकि पर्याप्त नींद स्वस्थ रहने के लिये अत्यंत आवश्यक है परन्तु आज के तेज-रफ्तार और व्यस्त जीवन में, नींद की कमी आम बात हो चुकी है इसलिये यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज पर चिंतन मंथन करना जरूरी हो गया है। अपने राष्ट्र को स्वस्थ व समृद्ध बनाये रखने के लिये अब हमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से ऋषि इंटेलिजेंस (आर आई) की ओर बढ़ना होगा।

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