महाकुम्भ की चर्चाओं में रहने वाली हर्षा रिछारिया अब रो रही है फूट-फूटकर

mahakumbh प्रयागराज। महाकुंभ में अपनी खूबसूरती और साध्वी वेशभूषा से चर्चा में आईं हर्षा रिछारिया अब फूट-फूटकर रो रही है। हर्षा ने छवि खराब होने से परेशान होकर महाकुंभ छोड़ने का फैसला किया है। हर्षा सोशल मीडिया और टीवी चौनलों पर आरोप लगाया है। साथ ही कहा कि मेरे गुरुदेव कैलाशानंद गिरी को भी भला-बुरा कहा गया। वह ये नहीं सुन सकतीं। सभी लोगों को एक महिला के बारे में कुछ बोलने से पहले ध्यान रखना चाहिए। mahakumbh

हर्षा रिछारिया ने एक टीवी चौनल से कहा कि क्या सनातन से जुड़ने के लिए त्याग करना पड़ता है। साथ ही कहा कि मैंने कभी नहीं कहा कि साध्वी और संत या संन्यासी हूं। मुझे सिर्फ ईश्वर की भक्ति करना अच्छा लग रहा है। मेरी शादी और बाल देश का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। उन्होंने कहा कि प्रोफेशन से ब्रेक लेकर धर्म के रास्ते पर चलने का फैसला लिया। उन्होंने शाही सवारी को लेकर कहा कि वह हर साल निकलती है। इसमें सारे भक्त भी रहते हैं। अन्य अखाड़ों की सवारी में भी बहुत से भक्त और गृहस्थ लोग शामिल होते हैं। मेरा चेहरा हाईलाइट हो गया है, इसलिए उसे दिखाया गया।

उन्होंने कहा कि मैंने भगवा चोला नहीं पहना था, बल्कि केवल शॉल ओढ़ा था। वैसे कोई भी सनातानी इस रंग को धारण कर सकता है इसमें क्या बुराई है। हर्षा ने कहा कि अब उन्हें महाकुंभ से दो-तीन दिन में जाना पड़ सकता है। महाकुंभ में एक महीने के लिए आई थी, लेकिन मेरे साथ-साथ गुरूदेव को बहुत अपमानित किया जा रहा है। अब गुरूदेव से नजर नहीं मिला पाऊंगी। अब यहां से वापस उत्तराखंड जाऊंगी, वहीं मेरा घर है। साथ ही उन्होंने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति छोड़कर सनातन में आना क्या गुनाह है।

बता दें कि पौष पूर्णिमा पर उत्तराखंड की 30 साल हर्षा रिछारिया ने महाकुंभ मेले में रथ पर सवार होकर लोगों का ध्यान अपनी और खींचा। हर्षा की वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होते ही उन्हें सबसे खूबसूरत साध्वी कहा जाने लगा। एक वायरल वीडियो में हर्षा ने दावा किया कि वह निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि जी महाराज की शिष्या हैं। साथ ही कहा था कि मेरे पास शोहरत और पैसा था, लेकिन आज जहां हूं, वहां शांति हैं। जीवन में एक बिंदु पर व्यक्ति केवल शांति के लिए तरसता है।

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