गुरु का संरक्षण जीवन को पतन के मार्ग पर जाने से बचाता है- आचार्य करुणेश मिश्र

हरिद्वार। अध्यात्म चेतना संघ द्वारा शुभारम्भ प्वाइंट, आर्य नगर में आयोजित भव्य श्रीमद्भागवत कथा एवं गीता जयन्ती महोत्सव-2924 के तृतीय दिवस पर कथा व्यास एवं संस्था संस्थापक आचार्य करुणेश मिश्र ने शिव-पार्वती विवाह की मार्मिक कथा श्रवण कराई।

आचार्य करुणेश ने कथा के आज के प्रसंग को गति प्रदान करते हुए कहा कि, “शिव और कहीं नहीं हैं, वह तो हमारे अन्दर ही विराजमान हैं।‌ प्रायः हम स्वयं ही अपने अन्दर विराजमान उस शिव का अपमान तक करते रहते हैं और इस क्रिया को हम जान भी नहीं‌ पाते। यदि हमारे भी जीवन में माता पार्वती के जीवन के समान कोई नारदजी जैसा संत आ जाये और हम उस संत की शिक्षाओं को ग्रहण व उनका अनुसरण कर सकें, तो हम जान पायेंगे, कि वास्तव में शिव तत्व क्या है। जीवन में किसी सच्चे संत का प्रवेश हमारे जीवन की सार्थकता है।”

उन्होंने आगे कहा कि “जैसे ही हम इस वास्तविकता को जान लेते हैं, कि जिस भगवान को हम वाह्य जगत में खोज रहे हैं, वह अन्यत्र नहीं हमारे ही भीतर विराजमान हैं, तो हमारा जीवन पूर्णतः सफल व सार्थक हो जाता है।” संत कबीर को उद्धृत करते हुए आचार्य ने कथा कि वह कहते थे कि यदि हमें अपने अन्दर विराजमान भगवान के दर्शन करने हों, तो विषयों और विकार के पर्दों को हटाना होगा। कहा कि, “गुरु का संरक्षण हमारे जीवन में बहुत आवश्यक होता है, जो हमेशा हम पतन के रास्ते पर जाने से बचाता रहता है। गुरु, संत और महात्मा यह चाहते हैं कि उनके सम्मुख हम अपनी मनोकामनाओं के निजी समस्याओं का समाधान की इच्छा से नहीं, बल्कि, धर्म चर्चा, अध्यात्मिक जिज्ञासा और सत्संग के उद्देश्‍य से जायें।

आज कथा के दौरान मुख्य यजमान श्री गणेश शर्मा ‘बिट्टू’ तथा श्रीमती निकिता शर्मा और सभी यजमान परिवारों के साथ-साथ बृजेश शर्मा, महेश चन्द्र काला, विशाल शर्मा, अर्चना तिवारी, अशोक सरदार, रविन्द्र सिंघल, संगीत गुप्ता, आभा गुप्ता, विकास शर्मा आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

 

 

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