श्रीमद् भागवत कथा में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी की गरिमामय उपस्थिति

*श्रीमद् भागवत कथा हमारे जीवन के विशाद् को प्रसाद में बदल देती है*

*💐संस्कार और संस्कृति जीवन की नींव*

*🌸स्वामी चिदानन्द सरस्वती*

*✨श्रीमद् भागवत कथा श्री मूर्तिमनदास जी के श्री मुख से सम्पन्न हो*

 

ऋषिकेश, 20 नवंबर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी को श्रीमद् भागवत कथा में विशेष रूप से आमंत्रित किया गया। श्रीमद् भागवत कथा श्री मूर्तिमनदास जी के श्री मुख से सम्पन्न हो रही हंै, जिसे कासोदरिया परिवार द्वारा ऋषिकेश में आयोजित किया गया है। दीपावली का पर्व आते ही पूरा का पूरा गुजरात गंगा के तट पर साधना, उपासना और कथाओं के आयोजन हेतु आ जाता है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि कथा हमारे जीवन को उत्सव बना देती है। श्रीमद् भागवत कथा हमारे जीवन के विशाद् को प्रसाद में बदल देती है। कथा से न केवल हमें धार्मिक उपदेश प्राप्त होता हंै, बल्कि यह हमारे जीवन में संस्कार और संस्कृति का समावेश भी करती है। श्रीमद् भागवत कथा से न केवल हमारे धार्मिक ज्ञान का विकास होता है, बल्कि यह हमें हमारे आंतरिक और बाहरी जीवन को भी समृद्धि प्रदान करती है।

श्रीमद् भागवत कथा में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी की उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी विशेष बना दिया है। उनकी आध्यात्मिक ऊर्जा और मार्गदर्शन से कथा का माहौल और भी पवित्र और आनंदमय हो गया। स्वामी जी ने अपने संबोधन में कहा, कथा हमारे जीवन को न केवल उत्सव में बदलती है, बल्कि यह हमें हमारे संस्कार और संस्कृति से जोड़ती है। युवाओं के लिए श्रीमद् भागवत कथा संस्कारों की शिक्षा का अद्वितीय स्रोत है।

कथा हमें हमारे प्राचीन धर्मग्रंथों और सांस्कृतिक विरासत के बारे में ज्ञान प्रदान करती है। कथा के माध्यम से युवा हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को आत्मसात कर सकते हैं और अपने जीवन में उनका पालन कर सकते हैं। स्वामी जी ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा युवाओं के नैतिक और आध्यात्मिक उन्नति का उत्तम स्रोत है।

यह हमें हमारे जीवन में सद्गुणों को अपनाने और नकारात्मकता को दूर करने की प्रेरणा देती है। जब हम अपने जीवन में धार्मिक और नैतिक मूल्यों को आत्मसात करते हैं, तो यह हमारे समाज को भी प्रभावित करता है और समाज में शांति और सद्भावना का माहौल बनता है।

स्वामी जी ने कहा कि संस्कार और संस्कृति हमारे जीवन की नींव हैं। ये हमें नैतिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं और हमें एक अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा देते हैं। कथा हमें आंतरिक और बाहरी शुद्धता का भी संदेश देती है। स्वामी जी ने कहा, जब हम आंतरिक रूप से शुद्ध होते हैं, तो हमारे विचार और कर्म भी शुद्ध होते हैं। यह शुद्धता हमें एक सच्चे और संतुलित जीवन की दिशा में प्रेरित करती है।

कासोदरिया परिवार द्वारा आयोजित यह कथा एक अद्वितीय उदाहरण है कि कैसे धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियां हमारे समाज में सामूहिकता और एकता का संदेश प्रसारित करती है। यह आयोजन धार्मिक और सामाजिक एकता का प्रतीक है। विभिन्न समुदायों और वर्गों के लोग इस कथा में भाग ले रहे हैं और इसे एक सामूहिक उत्सव बना रहे हैं। यह कथा सभी के लिए एक प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक अनुभव है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कासोदरिया परिवार, सभी भक्तों और श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया और भविष्य में भी ऐसे धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन समाज में सद्भाव और शांति की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

श्री वल्लभभाई पोपटभाई कासोदरिया, श्री करमसीभाई पॉपटभाई कासोदरिया, श्री घनश्यामभाई वल्लभभाई कासोदरिया, श्री अरविंदभाई वल्लभभाई कासोदरिया, श्री ध्रुव घनश्यामभाई कासोदरिया, श्री भार्गव घनश्यामभाई कासोदरिया, श्री हीत अरविंदभाई कासोदरिया और पूरा कासोदरिया परिवार 800 से 1000 भक्तों को लेकर आते हैं। गंगा तट पर पूरा गुजरात छा जाता है।

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