- पर्यटकों के साथ ही वनस्पति विज्ञानियों, फोटोग्राफर और पक्षी प्रेमियों के लिये प्रकृति का खजाना है हिलकोट
- देवाल ब्लॉक के गुमनाम पर्यटक स्थलों में एक है प्रकृति का उपहार हिलकोट
चमोली : चमोली जिले को प्रकृति ने नैसर्गिक सौंदर्य का अनुपम उपहा दिया है। लेकिन इन पर्यटक स्थलों का प्रचार-प्रसार न होने से ये पर्यटन की संभावना लिये स्थान आज भी पर्यटन मानचित्र में जगह पाने के लिये सरकारी प्रयासों की बाट जोह रहे हैं। जिले की पिंडर घाटी में ऐसा ही स्थान है- हिलकोट बुग्याल! जिसे वर्तमान तक पर्यटन मानचित्र में जगह नहीं मिली है। ऐसे में हिलकोट की जानकारी स्थानीय ग्रामीणों के अलावा किसी को भी नहीं है।
बता दें कि हिलकोट चमोली जिले की पिंडर घाटी में स्थित मध्य हिमलायी क्षेत्र में वांण गांव से 10 किमी की पैदल दूरी पर 11 हजार फीट ऊंचाई पर स्थित है। रुपकुंड टूरिज्म के सीईओ देवेंद्र पंचोली और कुंवर सिंह का कहना है कि हिलकोट चमोली के मध्य हिमालय क्षेत्र में मौजूद अन्य पर्यटक स्थलों की तरह ही नैसर्गिक सौंदर्य समेटे हैं। क्षेत्र में जहां प्रचुर मात्रा में हिमालीय वनस्पतियां और जड़ी-बूटियां मौजूद हैं। वहीं पक्षियों का एक अनोखा संसार भी है। जिसके चलते यह पर्यटकों के साथ ही वनस्पति विज्ञानियों और पक्षी प्रेमियों के लिये प्रकृति के अनोखे उपहार से कम नहीं है।
हिलकोट से हिमालय की श्रृंखलाओं का दीदार करता है अभीभूत
यहां से दिखाई देने वाली हिमलाय की गंगो़त्री, चौखम्बा, नंदादेवी, नंदा घुंघटी, त्रिशूल, केदानाथ के साथ अन्य श्रृंखलाओं के साथ ही पिंडर और नंदाकिनी घाटी का नजार अभीभूत करने वाला है।
क्या कहते हैं स्थानीय लोग—
नरेन्द्र बिष्ट और रंजीत का कहना है कि हिलकोट पर्यटकों के लिये प्रकृति के उपहार से कम नहीं है। लेकिन उक्त स्थान को वर्तमान तक पहचान न मिलने के चलते हिलकोट को देश और दुनियां में पहचान नहीं मिल सकी है। कहा कि यदि पर्यटन मानचित्र में स्थान मिलने पर यहां पर्यटन गतिविधियों के विकास की आपार संभावनाएं हैं।
कैसे पहुंचे हिलकोट—-
हिलकोट की ट्रैकिंग के लिये ऋषिकेश से 275 किमी और काठगोदाम से 250 किमी की दूरी वाहन से तय कर वांण गांव पहुंचा जाता है। जहां से 4 किमी की पैदल दूरी तय कर रणका खर्क और 4 किमी की दूरी तय का शुक्री खर्क पहुंचा जाता है। जिसके बाद शुक्री खर्क से 2 किमी की पैदल दूरी तय कर हिलकोट तक पहुंचा जा सकता है। वापसी के लिये उक्त मार्ग के साथ ही कुकीनाखाल होते हुए भी वांण पहुंचा जा सकता है।