हरिद्वार। प्रदेश में मूल निवास की सीमा 1950 एवं मजबूत भू कानून को लेकर मूल निवास समन्वय संघर्ष समिति एवं पहाड़ी महासभा के पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से प्रेस क्लब हरिद्वार में पत्रकार वार्ता आयोजित की। समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य प्राप्ति में राज्य के निवासियों के अनेकों बलिदान एवं संघर्षों के बाद राज्य अस्तित्व में आया। लेकिन राज्य के जल, जमीन, जंगलों पर बाहरी व्यक्तियों का कब्जा हो रहा है। राज्यवासियों को सरकारी गैर सरकारी नौकरियों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। अपने ही राज्य में मूल निवासियों के सामने पहचान का संकट खड़ा हो गया है। राज्य की सांस्कृतिक परंपराओं पर भी खतरा मंडरा रहा है। आने वाली पीढ़ी का भविष्य भी सुरक्षित नहीं है। मोहित डिमरी ने कहा कि सीमित संसाधन वाले प्रदेश में बाहरी लोगों का आगमन होने के कारण भूमिधर अब भूमिहीन हो रहे हैं। कल कारखानों में मूल निवासियों को रोजगार नहीं मिल पा रहे हैं। मोहित डिमरी ने सवाल उठाते हुए कहा कि मूल निवास प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से प्राप्त किया जा रहे हैं। इसकी भी जांच होनी चाहिए। सरकार को जल्द से जल्द राज्य में 1950 मूल निवास एवं सशक्त भू कानून राज्यहित में लागू करना होगा। सशक्त भू कानून एवं मूल निवासी की सीमा 1950 लागू करने की मांग को लेकर 10 नवम्बर को हरिद्वार में स्वाभिमान महारैली आयोजित की जाएगी। उन्होंने सभी से रैली में शामिल होने की अपील भी की। पहाड़ी महासभा के अध्यक्ष तरुण व्यास ने कहा कि राज्यवासियों को रोजगार मिलने चाहिए। पलायन की समस्या से निजात पानी है तो मूल निवासी एवं मजबूत भू कानून राज्य में लागू हो। त्रिलोकचंद भट्ट ने कहा कि मूल निवासी एवं मजबूत भू कानून को लेकर समन्वय संघर्ष समिति द्वारा लोगों को जागरूक किया जा रहा है। अपनी परंपरांओं और संस्कृति को बचाने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे। राज्य की जमीनों पर बाहरी लोगों का हस्तक्षेप लगातार बढ़ रहा है। राज्य हित में कानून लागू किया जाए। प्रेसवार्ता में हिमांशु रावत, संजय सिलसवाल, अजय नेगी, अतुल गोंसाई, दुर्गेश उनियाल, विनोद चौहान, दीपक पांडे, रवि बाबू शर्मा, बीएन जुयाल आदि मौजूद रहे।