प्रसिद्ध कथावाचक देवी चित्रलेखा ने परमार्थ निकेतन शिविर में स्वामी चिदानन्द सरस्वती और साध्वी भगवती सरस्वती से भेंट कर लिया आशीर्वाद, नारी शक्ति के सशक्त नेतृत्व पर की महत्वपूर्ण चर्चा

-नारी शक्ति के नेतृत्व में नारी सशक्तिकरण
-विदूषियों का नेतृत्व शक्तिकरण का संकल्प
-भक्ति की धरती पर शक्तियों का दिव्य समन्वय
-शक्तियों का संकल्प विलक्षण परिवर्तन का आगाज
प्रयागराज। महाकुम्भ, प्रयागराज, परमार्थ निकेतन शिविर में प्रसिद्ध कथावाचक देवी चित्रलेखा जी का आगमन हुआ। देवी चित्रलेखा जी ने पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, पूज्य साध्वी भगवती सरस्वती जी से भेंटकर आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर उनके माता-पिता, स्वामी अनंतानंद जी (रामजी) महाराज और स्वामी अमृतानंद जी महाराज भी की गरिमामयी उपस्थिति रही।
इस पवित्र अवसर पर नारी शक्ति के सशक्त नेतृत्व पर महत्वपूर्ण चर्चा की गई, जिसमें शक्ति, भक्ति और संकल्प की धरती महाकुम्भ प्रयाग में नारी सशक्तिकरण को लेकर विचारविमर्श किया।
महाकुम्भ प्रयागराज का पूरे विश्व में एक विशिष्ट स्थान है, यहां पर जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे शक्ति, भक्ति और संकल्प, का समागम है। इसी समागम में परमार्थ निकेतन शिविर में पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में एक दिव्य शक्ति सशक्तिकरण संकल्प लिया गया।
परमार्थ निकेतन शिविर, महाकुम्भ की धरती पर भक्ति और शक्ति का ऐसा अद्भुत समन्यव हुआ जो समाज के समग्र उत्थान और उन्नति का मार्ग प्रशस्त करेगा। यह नारी शक्ति के सशक्त नेतृत्व का आगाज हैं।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि नारी को अपनी क्षमता और सामर्थ्य को जानने के लिए शिक्षा के साथ स्वयं पर विश्वास करने की अत्यंत आवश्यकता है। जब विदुषी नारियों का नेतृत्व और मार्गदर्शन समाज को प्राप्त होता है तो विकास का मार्ग प्रशस्त होता है।
स्वामी जी ने नारी शक्ति के सशक्त नेतृत्व के लिए एक रोडमैप तैयार करने की आवश्यकता पर जोर देते हुये कहा कि नारियों को हर क्षेत्र में समान अवसर मिलना चाहिए ताकि वे अपनी प्रतिभा और क्षमता का सर्वोत्तम उपयोग कर सकें।
उन्होंने कहा कि महाकुम्भ प्रयागराज की धरती से नारी सशक्तिकरण और शक्ति के संकल्प को लेकर एक नई शुरुआत करनी होगी ताकि आने वाले समय में समाज और राष्ट्र के लिए सकारात्मक बदलाव की दिशा तय की जा सके। यह बदलाव समाज के प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक नए युग की शुरुआत के रूप में उभर कर आयेगा।
देवी चित्रलेखा जी ने कहा कि वर्तमान समय में नारी को अपनी शक्ति और सामर्थ्य का अहसास होना बहुत जरूरी है। नारियाँ परिवार, समाज और राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। हमें उनकी अदृश्य शक्ति को पहचानकर उसे समाज के सामने लाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि समाज के हर स्तर पर नारी शक्ति को न केवल सम्मान मिलना चाहिए, बल्कि उन्हें नेतृत्व देने के लिए समाज को अपनी सोच में बदलाव लाना होगा।
डा साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि शक्ति, भक्ति और संकल्प की यह धरती हमें यह संदेश देती है कि केवल शारीरिक शक्ति ही नहीं, बल्कि मानसिक और आत्मिक शक्ति का भी सम्मान करना होगा। जब नारी आत्मविश्वास के साथ अपने कार्यक्षेत्र में कदम रखती है, तो वह समाज को प्रगति के रास्ते पर ले जाती है। महाकुम्भ न केवल हमें भक्ति की शक्ति का एहसास कराता है, बल्कि नारियों के अंदर व्याप्त दिव्य शक्ति का भी एहसास कराता है जो समाज के हर क्षेत्र में परिवर्तन ला सकती है।
साध्वी जी ने कहा कि महाकुम्भ में जहां एक ओर भक्ति की गूंज सुनाई देती है, वहीं दूसरी ओर शक्ति और संकल्प के विभिन्न स्वरूपों के भी दर्शन हो रहे हैं। महाकुम्भ न केवल धर्म की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मानवता के उत्थान के लिए एक बड़ा संदेश देता है। यदि हम शक्ति और भक्ति का समन्वय करते हैं, तो हम आत्मिक और सामाजिक दोनों ही स्तरों पर सफलता प्राप्त कर सकते हैं। समाज में बदलाव लाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को, विशेष रूप से नारियों को, अपनी शक्ति और सामर्थ्य को पहचानने की जरूरत है।
महाकुम्भ, जीवन में विलक्षण परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित करता है। जब हम अपने भीतर की शक्ति को पहचानेंगे और उसे सकारात्मक दिशा में लगाएंगे, तो हम अपने समाज और राष्ट्र के लिए बेहतर भविष्य की नींव रख पाएंगे।

zerogroundnews

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!