परमार्थ निकेतन में दो दिवसीय चिकित्सा शिविर का आयोजन, प्रसिद्ध अस्पताल ‘मेदांता’ द मेडेसिटी के चिकित्सकों द्वारा प्रदान की गई चिकित्सा सेवायें

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में दो दिवसीय चिकित्सा स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। यह शिविर विशेष रूप से श्वसन, हृदय, और सामान्य स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए आयोजित किया गया था। परमार्थ निकेतन में आयोजित इस शिविर में भारतीय चिकित्सा क्षेत्र के प्रसिद्ध अस्पताल ‘मेदांता’ द मेडेसिटी के चिकित्सक दल ने चिकित्सा सेवायें प्रदान की। इस शिविर का मुख्य उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद लोगों को उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवाएं प्रदान करना, ताकि वे अपनी शारीरिक स्थिति को समझ सकें और जरूरी उपचार प्राप्त कर सकें।
इस स्वास्थ्य चिकित्सा शिविर का विधिवत उद्घाटन साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में मेदांता से आये चिकित्सकों ने दीप प्रज्वलित कर किया। इस दौरान साध्वी जी ने स्वास्थ्य को जीवन की सबसे बड़ी संपत्ति बताते हुए कहा कि परमार्थ निकेतन में आयेाजित शिविर के माध्यम से शारीरिक स्वास्थ्य देखभाल के साथ मानसिक व आध्यात्मिक स्वस्थ्य पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है।
शिविर में रोगियों का इलाज करने के लिए मेदांता अस्पताल के विभिन्न विशेषज्ञों की टीम ने सहभाग किया। शिविर में श्वसन समस्याओं, हृदय रोगों, रक्तचाप, मधुमेह, और अन्य सामान्य बीमारियों के इलाज के लिए व्यापक चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराई गईं। इस शिविर में विशेषज्ञ डॉक्टरों के साथ-साथ नर्सिंग स्टाफ और अन्य सहायक कर्मचारियों ने भी मिलकर मरीजों को उचित इलाज, परामर्श, जांच और दवाईयाँ निःशुल्क वितरित की।
साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि ‘स्वास्थ्य ही सबसे बड़ी सम्पत्ति है, और यह शिविर हमें इस अनमोल धरोहर की अहमियत समझने का एक अवसर प्रदान करता है। साध्वी जी ने बताया कि शारीरिक स्वास्थ्य केवल शरीर की देखभाल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य से भी जुड़ा है।
उन्होंने शिविर के माध्यम से लोगों को जागरूक करते हुए कहा कि नियमित जांच और सही आहार, योग व ध्यान से हम अनेक बीमारियों से बच सकते हैं। साध्वी जी ने यह भी कहा, हमारे गुरु पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती जी का यह दर्शन है कि समाज के हर वर्ग को स्वास्थ्य सेवाएं मिलें, ताकि जीवन की गुणवत्ता बेहतर हो और हमारा राष्ट्र स्वस्थ व समृद्ध बना रहे। इस अवसर पर साध्वी जी ने डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की सराहना की।
शिविर प्रबंधक मेदंांता, श्री कश्यप घोष ने बताया कि यह शिविर मेदांता और परमार्थ निकेतन के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया है। इस तरह के शिविरों का उद्देश्य समाज में स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता फैलाना और उच्चतम गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवायें प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि परमार्थ निकेतन आकर हमारी टीम चिकित्सा सेवायें प्रदान करती है साथ ही स्वयं भी इस दिव्य वातावरण में रहकर ऊर्जावान हो जाती है। परमार्थ निकेतन आना हम सभी के लिये सौभाग्य का विषय है।
हृदय रोग विशेषज्ञ, डॉ. विजय कुमार ने हृदय संबंधी रोगों के इलाज पर विस्तार से चर्चा की और बताया कि हृदय से संबंधित बीमारियां मुख्य रूप से अस्वस्थ जीवनशैली और गलत खानपान के कारण होती हैं। उन्होंने मरीजों को हृदय रोगों के प्रति जागरूक किया और समय पर इलाज कराने की आवश्यकता पर बल दिया। शिविर के दौरान उन्होंने रक्तचाप, ईसीजी, कोलेस्ट्रॉल की जांच भी की और मरीजों को हृदय को स्वस्थ रखने के लिए सही आहार और नियमित व्यायाम की सलाह दी।
श्वसन रोग विशेषज्ञ, डॉ. शाहिद ने श्वसन रोगों जैसे अस्थमा, दमा, और एलर्जी के कारणों और उपचार के विषय में जागरूक किया। उन्होंने बताया कि इन बीमारियों की पहचान में समय लग सकता है, लेकिन सही इलाज और जीवनशैली में सुधार से इनका उपचार संभव है। शिविर के दौरान उन्होंने श्वसन परीक्षण भी किए और मरीजों को श्वसन संबंधी समस्याओं से बचने के लिए सुझाव दिए।
सामान्य चिकित्सा विशेषज्ञ, डॉ. सुपर्णा जोशी ने सामान्य चिकित्सा पर जोर देते हुए कहा कि शरीर के सभी अंगों का सही तरीके से काम करना बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि स्वस्थ जीवनशैली, सही खानपान और नियमित जांच से हम कई बीमारियों से बच सकते हैं। शिविर में उन्होंने रक्त शर्करा, रक्तचाप, और सामान्य स्वास्थ्य परीक्षण किए।
नर्सिंग स्टाफ और सहायक कर्मचारियों की भूमिका इस शिविर में अत्यंत महत्वपूर्ण रही। मैनेजर श्री देशराज, प्रिया सिंह, गुंजन, श्री ब्रजराज, श्री बलजीत, और श्री रेहान ने रोगियों का पल्मोनरी फक्शंन टेस्ट और बोन मिनरल डेनसिटी टेस्ट किया।
शिविर के पहले दिन 21 दिसंबर को 200 से अधिक मरीजों ने शिविर में भाग लिया, जबकि दूसरे दिन 22 दिसंबर को भी 150 से ज्यादा मरीजों ने चिकित्सा सेवाएं प्राप्त कीं।
साध्वी भगवती सरस्वती जी ने सभी चिकित्सकों को स्वामी जी के आशीर्वाद के रूप में रूद्राक्ष का माला और हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।

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