*परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और महासचिव, श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र, श्री चंपतराय जी ने किया परमार्थ त्रिवेणी पुष्प का सांस्कृतिक भ्रमण एवं दर्शन*
*भारत दर्शन के रूप में उभरता सनातन संस्कृति का गौरवमय क्षेत्र*
*संगम के तट से संगम का संदेेश*
*सब समान, सब का सम्मान के आदर्श दर्शन का संदेशवाहक परमार्थ त्रिवेणी पुष्प*
*परमार्थ त्रिवेणी पुष्प, सनातन संस्कृति के संवाहक आदिगुरू शंकराचार्य जी, आचार्य परम्परा के सभी आचार्यों, पूज्य संत, ग्रंथ, परम्परा, संस्कृति व संस्कारों के जीवंत दर्शन का केन्द्र*
ऋषिकेश, 28 नवम्बर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और महासचिव, श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र, श्री चंपतराय जी ने सनातन आस्था का केन्द्र परमार्थ त्रिवेणी पुष्प, प्रयागराज का सांस्कृतिक भ्रमण व दर्शन किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने बताया कि परमार्थ त्रिवेणी पुष्प, भारत दर्शन के रूप में उभरता दिव्य क्षेत्र है जिसे सनातन संस्कृति के गौरवमय केन्द्र के रूप में संचालित किया जायेगा। यहां पर उत्तर व दक्षिण, पूर्व व पश्चिम सभी संस्कृतियों के दर्शन होंगे क्योंकि सनातन सब का है और सदा से है। सनातन की यह दृष्टि वसुधैव कुटुम्बकम् की दृष्टि है; सर्वे भवन्तु सुखिनः की दृष्टि है; आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः की दृष्टि है। यह दृष्टि नेगेटिव नेरेटिव से ऊपर उठकर समत्व प्रदान करने की है। हमें नकारात्मक दृष्टिकोण और विचारों से ऊपर उठकर एक संतुलित और समान दृष्टिकोण अपनाने का संदेेश देती है। यह सभी प्रकार की पक्षपात या पूर्वाग्रह से मुक्त रखने के लिये है। यह दृष्टि हमें जीवन को एक नई दिशा और अर्थ प्रदान करती है, और हमें यह सिखाती है कि हम कैसे अपने जीवन में संतुलन और शांति बनाए रख सकते हैं।
स्वामी जी ने कहा कि परमार्थ त्रिवेणी पुष्प के माध्यम से संगम के तट से संगम का संदेश पूरे विश्व को प्रसारित किया जायेगा। यह केन्द्र सब समान, सब का सम्मान के आदर्श दर्शन का संदेशवाहक बन कर उभरेगा। इसे सनातन संस्कृति के संवाहक आदिगुरू शंकराचार्य जी, आचार्य परम्परा के सभी आचार्यों, पूज्य संत, ग्रंथ, परम्परा, संस्कृति व संस्कारों के जीवंत दर्शन के केन्द्र के रूप में स्थापित किया जा रहा है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने बताया कि परमार्थ त्रिवेणी पुष्प केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह भारत की सनातन परम्परा, आध्यात्मिकता और संस्कृति का जीवंत उदाहरण है। यहाँ पर स्थित पौराणिक मंदिरों और धार्मिक प्रतिकृतियों के माध्यम से सनातन धर्म की महानता और गरिमा को संरक्षित और प्रचारित किया जाएगा।
परमार्थ त्रिवेणी पुष्प के माध्यम से समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक समरसता को बढ़ावा दिया जाएगा और यह केन्द्र आपसी भाईचारे को मजबूत करेंगा। उन्होंने कहा कि परमार्थ त्रिवेणी पुष्प का यह नवनिर्मित केंद्र संपूर्ण विश्व के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनेगा और भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की महानता को विश्व पटल पर स्थापित करेगा।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने बताया कि परमार्थ त्रिवेणी पुष्प, शिक्षा और शोध के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यहाँ पर स्थित लाइब्रेरी और शोध केंद्रों में धार्मिक ग्रंथों और पौराणिक कथाओं का अध्ययन और शोध किया जाएगा। इससे नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति और परंपराओं के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त होगी।
परमार्थ त्रिवेणी पुष्प, समाज में स्वास्थ्य, समरसता और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और प्रचारित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यहाँ पर आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक भारतीय संस्कृति, योग, आयुर्वेद और पंचकर्म की महानता का अनुभव करेंगे और इसे संजोएंगे। यह केंद्र समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक समरसता को बढ़ावा देगा और समाज को एक नई दिशा प्रदान करेगा।
श्री चंपतराय जी ने कहा कि पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के नेतृत्व व मार्गदर्शन में परमार्थ त्रिवेणी पुष्प, प्रयागराज में पौराणिक मंदिरों और धार्मिक प्रतिकृतियों का संरक्षण और संवर्धन किया जा रहा है जो वास्तव में अद्भुत व अलौकिक है। उन्होंने कहा यह बहुत ही उत्तम कार्य है, इसे देखकर मेरी आत्मा तृप्त हो गयी। यहां की सात्विकता, पवित्रता और शुचिता अद्भुत है। परमार्थ, पूरे विश्व को एक नई दृष्टि प्रदान कर रहा है।
उन्होंने कहा कि परमार्थ त्रिवेणी पुष्प में पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी विशेष ध्यान दिया गया है। यहां पर मोर, अन्य विलुप्त प्राय पक्षियों का संरक्षण किया जा रहा है। यहां पर श्रद्धालुओं की सुविधाओं के ध्यान रखते हुये आरामदेय कमरों के साथ पूज्य संतों की ध्यान व साधना हेतु बांस से बनी कुटिया भी अद्भुत है।
श्री चंपतराय जी ने कहा कि पूज्य स्वामी जी के नेतृत्व में कैलाश मान सरोवर की ऊँचाई पर भी धर्मशालाओं का अद्भुत निर्माण किया गया और परमार्थ त्रिवेणी पुष्प प्रयागराज तो आस्था व व्यवस्था, सनातन व संस्कृति का अद्भुत केन्द्र बन कर उभरेगा। स्वामी जी के मार्गदर्शन व नेतृत्व में निर्मित हिन्दू धर्म विश्वकोश पूरे विश्व के लिये किसी वरदान से कम नहीं है।
दोनों विभूतियों ने महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले जी की पुण्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की।