- 85 लाख की लागत से बुग्यालों में किये जाएंगे संरक्षण व संवर्द्धन के कार्य
चमोली : जिले में बुग्यालों की सेहत को सुधारने के लिये वन विभाग की ओर से योजना बनाई गई है। जिसके तहत बदरीनाथ वन प्रभाग की ओर से कैट प्लान के माध्यम से बुग्याल संरक्षण व संवर्द्धन की योजना बनाई गई है। पूर्व में वेदनी बुग्याल में विभाग को मिले बेहतर परिणामों से विभागीय अधिकारी योजना को लेकर उत्साहित नजर आ रहे हैं।
बता दें कि चमोली जिले में बदरीनाथ वन प्रभाग में 10049 हैक्टयेटर भूमि पर 14 बुग्याल क्षेत्र स्थित हैं। लेकिन कुछ समय से बुग्यालों की सेहत में कमी की शिकायतें समाने आ रही हैं। यहां बुग्याल क्षेत्रों में जहां जल निकासी न होने से भू-कटाव जैसी समस्या आ रही है। वहीं पोलीगोनम और लैंटना का प्रसार भी बुग्याल क्षेत्र में तेजी से बढ रहा है। जिसे देखते हुए विभागीय अधिकारियों की ओर से 11 बुग्यालों के संरक्षण व संवर्द्धन के लिये 85 लाख की लागत से की लागत से योजना तैयार की गई। जिसे लेकर विभाग के कर्मचारियों की ओर से जिले के बुग्यालों में कार्रवाई भी शुरु कर दी गई है। विभागीय अधिकारियों की माने तो योजना के अनुसार कार्य करने पर आगामी एक से डेढ वर्ष में योजना के बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे।
ये है बदरीनाथ वन प्रभाग की बुग्याल संरक्षण और संवर्द्धन की योजना
विभागीय अधिकारियों की योजना के संचालन के लिये जिले के 11 बुग्यालों का चयन किया गया है। जिसके तहत बुग्याल क्षेत्रों में जल निकासी व्यवस्था करने, चैक डेम निर्माण और पोलीगोनम व लैंटाना जैसी वनस्पतियों के उन्मूलन के कार्य करवाये जाएंगे। साथ ही भू-धंसाव व कटाव वाले जियो जूट की मदद से घास रोपण कर बुग्यालों का संरक्षण व संवर्द्धन किया जाएगा। इसके साथ ही बुग्यालों में मवेशियों चरान व चुगान पर निगरानी के लिये केटल गार्ड की तैनाती भी की जाएगी और बुग्याल के ट्रैकिंग मार्गों पर भी सुरक्षात्मक कार्य करवाये जाएंगे।
इन बुग्यालों में किया जाएगा संरक्षण व संवर्द्धन कार्य
सप्तकुंड, सिम्बे, भुना, बिस्तोली, पलवारा, चाम्मे, ढुंगा, वेदनी, आली, बागजी और नवाली बुग्यालों में विभाग की ओर से कैट प्लान के तहत संरक्षण व संवर्द्धन कार्य किया जाएगा।
चमोली में 11 बुग्यालों के संरक्षण व संवर्द्धन के लिये कैट प्लान में 85 लाख की लागत से योजना तैयार की गई है। योजना के अनुसार जल निकासी और घास रोपण के साथ ही अन्य कार्य भी करवाये जाएंगे। जिसके बेहतर परिणाम एक से डेढ वर्ष बाद देखने को मिलेंगे।
आशुतोष कुमार, डीएफओ, बदरीनाथ वन प्रभाग, गोपेश्वर-चमोली।